NASA के अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा की कक्षा में किया प्रवेश, आर्टेमिस-1 मिशन के तहत भेजा गया है ओरियन
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) का ओरियन कैप्सूल अंतरिक्ष यान शुक्रवार (25 नवंबर) को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित कर दिया गया. अधिकारियों ने कहा कि चंद्रमा मिशन के शुरुआती देरी के बाद अब यह सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि अंतरिक्ष यान के फ्लोरिडा से चंद्रमा के लिए उड़ान भरने के एक हफ्ते बाद, हजारों मील की दूरी तय करने के बाद चंद्रमा की कक्षा (Moon Orbit) में स्थापित हो गया है.
नासा के मुताबिक, कैप्सूल और इसमें रखी तीन परीक्षण डमी ने प्रक्षेपण के एक हफ्ते से ज्यादा समय बाद चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया है. यह लगभग एक हफ्ते तक इस व्यापक लेकिन स्थिर कक्षा में रहेगा. यह अंतरिक्ष यान आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर ले जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार, ओरियन कैप्सूल शुक्रवार तक पृथ्वी से तकरीबन 380000 किलोमीटर की दूरी पर था और आने वाले कुछ दिन में इसके करीब 432000 किलोमीटर की अधिकतम दूरी पर पहुंच जाने की उम्मीद है. बता दें कि इसके साथ ही ये लोगों को ले जाने के लिए बनाए गए कैप्सूल द्वारा तय की गई दूरी का नया रिकॉर्ड बनाएगा.
बन सकता है नया रिकॉर्ड
इससे पहले साल 1972 में आखिरी अपोलो मिशन के बाद से चंद्रमा की सतह पर पैर रखने वाला यह पहला अंतरिक्ष यान है. इस यान में बिना चालक दल के साथ तीन परीक्षण डमी को भी रखा गया है, जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि यान उड़ान के लिए सुरक्षित है. नासा ने कहा ने कहा कि कक्षा इतनी दूर है कि ओरियन चंद्रमा से लगभग 40000 मील ऊपर उड़ान भरेगा. इसके अलावा उड़ान नियंत्रक चंद्रमा की कक्षा में प्रमुख प्रणालियों की निगरानी करेंगे और अंतरिक्ष के वातावरण का परीक्षण करेंगे. चंद्रमा के चारों ओर आधी परिक्रमा पूरी करने में ओरियन को लगभग एक हफ्ते का टाइम लगेगा.
11 दिसंबर को प्रशांत महासागर में होगी लैंडिंग
नासा के अनुसार, इसके बाद कहीं जाकर यान चंद्रमा की कक्षा से बाहर निकलेगा और धरती पर वापसी के लिए उड़ान भरेगा. नासा ने अनुमान जताया है कि शनिवार को यान के चंद्रमा से 40,000 मील दूर तक जाने की उम्मीद है, जो एक रहने योग्य कैप्सूल के लिए एक रिकॉर्ड होगा. बता दें कि वर्तमान रिकॉर्ड पृथ्वी से 248655 मील यानी (400171 किमी) पर अपोलो 13 अंतरिक्ष यान का है. ओरियन 25 दिनों की उड़ान के बाद 11 दिसंबर को प्रशांत महासागर में लैंडिंग होगी.
स्पेस एजेंसी के मुताबिक, इस मिशन की सफलता 2024 में आर्टेमिस 2 मिशन का भविष्य तय करेगी, जो अंतरिक्ष यात्रियों को बिना लैंडिंग के चंद्रमा के चारों ओर ले जाएगा. इसके बाद साल 2025 में आर्टेमिस 3, जो आखिर में मानव को चंद्रमा की सतह पर लेकर जाएगा.