
सुपौल। निर्मली थाना क्षेत्र में 10 वर्ष पूर्व एक नाबालिग से दुष्कर्म के प्रयास से जुड़े एक मुकदमे में सोमवार को जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश षष्ठम सह विशेष न्यायाधीश पॉक्सो संतोष दुबे की कोर्ट ने सजा सुनाई। इस दौरान आरोपी सुभाष यादव को चार वर्ष का सश्रम कारावास तथा 25 हजार रुपये का अर्थदंड सुनाया गया। कोर्ट ने भादंवि की धारा 354 तथा पॉक्सो की धारा 8 के तहत 4-4 वर्ष की सश्रम कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माना सुनाया। जुर्माना राशि न देने पर आरोपी को छह महीने की अतिरिक्त सजा सुनाई गई। कोर्ट के अनुसार सभी सजा साथ चलेगी और पूर्व में जेल में बिताई गई अवधि समायोजित की जाएगी। आरोपी का पूर्व में भी आपराधिक इतिहास रहा है।
विशेष लोक अभियोजक नीलम कुमारी ने बताया कि घटना के बाबत बीते 24 जनवरी 2015 को पीड़िता की शिकायत पर निर्मली थाना कांड संख्या 15/15 दर्ज किया गया था। आवेदन में निर्मली थाना क्षेत्र के बेला सिंगार मोती निवासी सुभाष यादव को नामजद किया गया था। ट्रायल के दौरान कोर्ट में अभियोजन की ओर से 10 गवाह प्रस्तुत किए गए। सबूतों और गवाहों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने शनिवार को ही सुभाष को दोषी करार दिया। सोमवार को सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई। इस दौरान बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता ओम नारायण यादव ने दलील पेश की।
घटना के बाबत पीड़िता की ओर से थाने में दर्ज शिकायत में बताया गया कि घटना के वक्त उसकी उम्र महज 16 साल थी। आरोपी सुभाष का अक्सर उसके घर आना-जाना होता था। घटना के दिन भी सुभाष उसके घर पहुंचा और घर में मौजूद लोगों के बारे में पूछा। उसने जब बताया कि घर में कोई नहीं है तो उससे दुष्कर्म का प्रयास किया गया। उसने किसी प्रकार खुद को बचाया और शोर मचा कर अपने छोटे भाई-बहन को भी बुला लिया। इसके बाद मां को भी बुलाया गया और घटना की जानकारी दी गई। आरोप लगाया कि सुभाष उसकी मां के पहुंचने से पहले ही भाग गया। लेकिन जाते समय दुष्कर्म और जान मारने की धमकी देते हुए गया।